एयर मार्शल विरेन्दर मोहन खन्ना ने आज नई दिल्ली में वायुसेना मुख्यालय में भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के रख-रखाव प्रमुख का पदभार ग्रहण कर लिया है।
एयर मार्शल श्री खन्ना 25 जुलाई, 1977 को आईएएफ में वैमानिकी इंजीनियंरिंग शाखा के मैकेनिकल वर्ग में कमीशंड हुए थे। वह कुरूक्षेत्र के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से स्नातक और आईआईटी, खड़कपुर से औद्योगिक इंजीनियरिंग एवं प्रबंधन में स्नातकोत्तर हैं। वह वेलिंगटन के सम्मानित डिफेंस सर्विसिज स्टाफ कॉलेज के भूतपूर्व छात्र भी रहे हैं। इसके अतिरिक्त्उन्होंने पत्रकारिता एवं मानवाधिकार में भी स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया है।
38 वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान श्री खन्ना की महानिदेशक (विमान) और वायुसेना मुख्यालय पर एयर स्टाफ इंजीनियरिंग (ट्रांसपोर्ट एवं हैलिकॉप्टर्स), वरिष्ठ रख-रखाव स्टाफ अधिकारी और पूर्वी वायु कमान के मुख्यालय पर चीफ इंजीनियरिंग ऑफिसर जैसी महत्वपूर्ण नियुक्तियां रही हैं। श्री खन्ना ने चीफ ऑफ एयरक्राप्ट, चीफ ऑफ प्रोडक्शन एंड प्लानिंग और कमांडिंग ऑफिसर के रूप में विभिन्न बेस रिपेयर डिपो में भी काम किया है। उन्होंने बड़ी संख्या में एमआई-17 वी-5 हैलिकॉप्टर्स, हॉक एजीटी और पिलाट्स एयरक्राप्ट के सफल अधिष्ठापन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एयर मार्शल ने आईएएफ पायलटों एवं रख-रखाव अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व किया था, जिसने बोस्तवाना रक्षा बल के पायलटों एवं इंजीनियरों को प्रशिक्षित किया था और इस प्रकार भारत-अफ्रीका संबंधों को मजबूत बनाया था। उन्होंने फ्लाइट इंजीनियर के रूप में भी सेवा की है और चंडीगढ़ स्थित विश्व के सबसे बड़े हैलिकॉप्टरों एमआई-8, एमआई-17 और एमआई-26 के साथ उड़ानें भरी हैं।
एक उत्साही खिलाड़ी के रूप में एयर मार्शल श्री खन्ना अंटार्कटिका के दो भारतीय अभियान दलों के भी सदस्य रहे हैं, जहां भारतीय वायुसेना ने दक्षिण गंगोत्री एवं मैत्री नामक दो भारतीय स्थायी आधारों की स्थापना करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
एयर मार्शल श्री खन्ना को भारत के राष्ट्रपति के द्वारा विशिष्ट सेवा पदक एवं अतिविशिष्ट सेवा पदकों से विभूषित किया गया है।
एयर मार्शल श्री खन्ना 25 जुलाई, 1977 को आईएएफ में वैमानिकी इंजीनियंरिंग शाखा के मैकेनिकल वर्ग में कमीशंड हुए थे। वह कुरूक्षेत्र के रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से स्नातक और आईआईटी, खड़कपुर से औद्योगिक इंजीनियरिंग एवं प्रबंधन में स्नातकोत्तर हैं। वह वेलिंगटन के सम्मानित डिफेंस सर्विसिज स्टाफ कॉलेज के भूतपूर्व छात्र भी रहे हैं। इसके अतिरिक्त्उन्होंने पत्रकारिता एवं मानवाधिकार में भी स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया है।
38 वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान श्री खन्ना की महानिदेशक (विमान) और वायुसेना मुख्यालय पर एयर स्टाफ इंजीनियरिंग (ट्रांसपोर्ट एवं हैलिकॉप्टर्स), वरिष्ठ रख-रखाव स्टाफ अधिकारी और पूर्वी वायु कमान के मुख्यालय पर चीफ इंजीनियरिंग ऑफिसर जैसी महत्वपूर्ण नियुक्तियां रही हैं। श्री खन्ना ने चीफ ऑफ एयरक्राप्ट, चीफ ऑफ प्रोडक्शन एंड प्लानिंग और कमांडिंग ऑफिसर के रूप में विभिन्न बेस रिपेयर डिपो में भी काम किया है। उन्होंने बड़ी संख्या में एमआई-17 वी-5 हैलिकॉप्टर्स, हॉक एजीटी और पिलाट्स एयरक्राप्ट के सफल अधिष्ठापन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एयर मार्शल ने आईएएफ पायलटों एवं रख-रखाव अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व किया था, जिसने बोस्तवाना रक्षा बल के पायलटों एवं इंजीनियरों को प्रशिक्षित किया था और इस प्रकार भारत-अफ्रीका संबंधों को मजबूत बनाया था। उन्होंने फ्लाइट इंजीनियर के रूप में भी सेवा की है और चंडीगढ़ स्थित विश्व के सबसे बड़े हैलिकॉप्टरों एमआई-8, एमआई-17 और एमआई-26 के साथ उड़ानें भरी हैं।
एक उत्साही खिलाड़ी के रूप में एयर मार्शल श्री खन्ना अंटार्कटिका के दो भारतीय अभियान दलों के भी सदस्य रहे हैं, जहां भारतीय वायुसेना ने दक्षिण गंगोत्री एवं मैत्री नामक दो भारतीय स्थायी आधारों की स्थापना करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
एयर मार्शल श्री खन्ना को भारत के राष्ट्रपति के द्वारा विशिष्ट सेवा पदक एवं अतिविशिष्ट सेवा पदकों से विभूषित किया गया है।
No comments:
Post a Comment