नई दिल्ली: सियाचिन में छह दिन 25 फुट बर्फ के नीचे फंसे रहने का बाद जिंदा निकले लांस नायक हनुमंतप्पा नहीं रहे। दिल्ली में सेना के आर एंड आर अस्पताल में 11.45 पर उन्होंने आखिरी सांस ली। लांसनायक हनुमंतप्पा को दिल्ली में बरार स्क्वायर पर श्रद्धांजलि दी गई। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, नौसेना प्रमुख रॉबिन के धोवन, वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अरूप राहा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया,
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनकी मां और पत्नी यहां मौजूद थीं।
हनुमंतप्पा के शव को अब कर्नाटक के धारवाड़ जिले में उनके पैतृक गांव ले जाया जा रहा है, जहां कल पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनके निधन की ख़बर से कर्नाटक के धारवाड़ ज़िले में उनके गांव और परिवार में शोक की लहर है।
हनुमंतप्पा की मौत से देश में शोक की लहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांस नायक हनुमंतप्पा की मौत पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हनुमंतप्पा के निधन पर शोक जताया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और 'आप' नेता कुमार विश्वास ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। इनके अलावा उमर अब्दुल्ला, अमित शाह और रविशंकर प्रसाद ने भी शोक जताया।
क्या हुआ था उस दिनसियाचिन में जो आफत सेना की पेट्रोल पार्टी पर टूटी उसे कुछ यूं समझिए कि बर्फ का एक बड़ा पहाड़ टूटकर आ गिरा। इस पहाड़ की लंबाई करीब 1000 मीटर और चौड़ाई 800 मीटर थी। इसके टूटते ही बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें जवानों पर गिर गईं।20 हजार फुट की ऊंचाई पर है यह जगह35 फुट मोटी बर्फ की परत के नीचे दबा सेना का यह जवान चमात्कारिक रूप से छह दिनों बाद जिंदा मिला था। जहां पर यह बर्फानी तूफान आया वह जगह करीब 20 हजार फुट की ऊंचाई पर है। वहां का तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है।
-33 साल के हनुमंतप्पा
-अक्टूबर 2002 में सेना से जुड़े
-मद्रास रेजिमेंट की 19वीं बटालियन में रहे
-अब तक की 13 साल की नौकरी
-10 साल बेहद चुनौती भरे इलाक़ों में
-2003 से 2006 तक जम्मू-कश्मीर के माहोर में
-आतंकवाद विरोधी अभियानों में शामिल
-2008 से 2010 के बीच फिर जम्मू-कश्मीर पोस्टेड
-2010 से 2012 के बीच पूर्वोत्तर में
-एनडीएफ़बी और उल्फ़ा से लड़े
-अगस्त 2015 से सियाचिन में
-दिसंबर 2015 में 19,600 फुट ऊंची चौकी पर तैनाती
SOURCE - NDTV
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